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Showing posts from February, 2021

सोचता हूँ... लौट आ माँ....!!!

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"लौट आ मां " सोचता हूँ... लौट आ माँ.... ढूंढता हूँ अब तुझे में.... रात की गहराइयों में.... मौत की परछाइयों में ..... दर्द की तन्हाइयों में...... डर लगता ये बसेरा..... सोचता हूँ, लौट आ माँ.... ढूंढता हूँ अब तुझे में .........!!!                                       चीखता है ये अँधेरा.... कौंधता है जग ये सारा.... फिर से कोई कर इशारा.... सोचता हूँ, लौट आ  माँ..... ढूंढता हूँ अब तुझे में.......!!!                                              सूना है समसान सारा.... घर आंगन द्वार तेरा.... फिर से कोई हो सवेरा.... देखता हूँ रूप तेरा...... सोचता हूँ, लौट आ माँ..... ढूंढता हूँ अब तुझे में.....!!!          हर घड़ी रुसवाई.... मौत की परछाई.... काल कवलित हो रहा हूँ.... खुद  से  खुद को खो रहा हूँ.... रक्तरंजित पाँव है...                             धूपवाली छाँव है.... दर्द आहें भर रहा हूँ.... आ बचाले आज मुझको.... प्रार्थना है नम्र तुझको.... सोचता हूँ, लौट आ माँ... ढूंढता हूँ अब तुझे में.....!!! -मणिकांत पाण्डेय" वैरागी" चित्राभार - गूगल

मैं बिहार हूँ!

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    मैं धूल हूँ, मैं राख हूँ    मैं दल दल का खाक हूँ       मैं दर दर भटकता     एक अभिशाप हूँ    !   मैं बिहार हूँ                                                                                                                                 रोटियों की बोटियां खरोचती कसौटियाँ बचपन में पचपन की भार ढोती बेटियाँ                                                     तूफानों से निकलता एक शैलाब  हूँ मैं बिहार हूँ!                                                 हार हूँ, मैं धार हूँ   मैं जीवन का सार हूँ   निस्सार हूँ  दुस्वार हूँ  !मैं बिहार हूँ                           न आन है न मान है न दंश का विमान है जेब फूटी कौड़ी नहीं, फिर भी रौब सुल्तान है मैं बिहार हूँ मैं ऐसा क्यूँ हूँ?? - मणिकांत पाण्डेय "वैरागी" चित्राभार - गूगल

बेटी हूँ ना !

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मैं रोऊँगी नहीं मैं पूछूँगी भी नहीं बेटी हूँ न!   हो सकता है ! मै उन्हें बोझ लगती हूँ, मेरे लिये प्यार बचा ही न हो ! शायद, एक ही खिलौना बचा था, 'पुष्प' के लिये ले आये क्यों ? पूछूँगी नही रोऊँगी भी नही बेटी हूँ न ! शैतानी 'पुष्प' करता हो, और डांट मुझे पड़े! 'पुष्प' सोता रहे! मैं काम करूँ मेरे लिये जली रोटियाँ ही बचे!  क्यों ? मैं पूछूँगी नहीं मैं रोऊँगी भी नहीं बेटी हूँ न ! बेटी पराई होती है उसे अपना घर जाना है वो वहाँ की नूर होती है ऐसा माँ कहती है क्यों ? मैं पूछूँगी नहीं मैं रोऊँगी भी नहीं बेटी हूँ न ! मुझे पता है एक दिन मैं किसी और को सौंपी जाऊँगी! वह अंजाना होगा बेगाना होगा परवाना होगा हाय ! मेरा जीवन कैसा होगा ! क्या मुझे भी अग्निपरीक्षा देनी होगी ? क्या मुझे भी आग के हवाले किया जायेगा? क्यों ? मैं पूछूँगी नहीं! मैं रोऊँगी भी नहीं ! बेटी हूँ न !                                                        माँ..... मैं रोऊँगी  खूब रोऊँगी..... और पूछूंगी भी! जब मेरे 'पुष्प' की कलाई सुनी रह जायेगी जब तुम्हारे आँखों में आंशू होंगे जब पापा का चेहरा उदास होंगा त