मैं बिहार हूँ!
मैं धूल हूँ, मैं राख हूँ
मैं दल दल का खाक हूँ
मैं दर दर भटकता
एक अभिशाप हूँ
! मैं बिहार हूँ
रोटियों की बोटियांमैं दल दल का खाक हूँ
मैं दर दर भटकता
एक अभिशाप हूँ
! मैं बिहार हूँ
खरोचती कसौटियाँ
बचपन में पचपन की
भार ढोती बेटियाँ
तूफानों से निकलता
एक शैलाब हूँ
मैं बिहार हूँ!
हार हूँ, मैं धार हूँ
मैं जीवन का सार हूँ
निस्सार हूँ
दुस्वार हूँ
!मैं बिहार हूँ
दुस्वार हूँ
!मैं बिहार हूँ
न आन है
न मान है
न दंश का विमान है
जेब फूटी कौड़ी नहीं,
फिर भी रौब सुल्तान है
मैं बिहार हूँ
मैं ऐसा क्यूँ हूँ??
- मणिकांत पाण्डेय "वैरागी"
चित्राभार - गूगल
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